Saturday, November 26, 2016

शब्द भविष्य है...


आपके मुह से निकले बोलो में छुपा है आपका भविष्य!
आप कल कहाँ पहुंचेंगे, आज आपके मुंह से निकल रहे शब्दों को पता है!

आपने शायद पढ़ा हो, किसी ने कहा है-

"आपके विचार, शब्द बन जाते हैं! शब्द कार्य में उतर जाते हैं! कार्य आदत बन जाते हैं!
आदतें आपका चरित्र बनाती हैं और चरित्र आपका प्रारब्ध यानी नसीब बन जाता है! इसलिए विचारो पर ध्यान दें!"

कोई क्या सोच रहा है, वह उसे न बताना भी चाहे, तो शब्द सब कह जाते हैं!
बोल वो झरोखा है, जो आपके व्यक्तित्व के पुरे दर्शन करा देता है!
इसलिए तो कहते हैं की रूप कितना ही लुभावना क्यूँ न हो, बात करने का ढंग असलियत बता जाता है..!

बड़े-बुज़ुर्ग बच्चो की सोहबत को लेकर इसलिए ही तो फिक्रमंद रहते हैं!
जैसी सन्गत होगी, वैसे विचार, वैसे बोल और अंततः वैसा ही भविष्य!

बोल विचारो और कार्य के बीच की कड़ी है! यह कहे-अनकहे सब में गूंजते हैं!
हम चुप रहते है तब भी सोच बोलती है, बर्ताव के जरिये!
यह भी एक तरह की अभिव्यक्ति ही है!
किसी की अवहेलना, उपेक्षा, नफरत यह सब शब्द तानेबाजी, छींटाकशी और कड़वे बोलो के ज़रिये ज़ाहिर हो जाते हैं!
हमको लगता है की जिससे कहा, केवल उसी को तो नुक्सान हुआ होगा! "मज़ा चखाने" का भाव होता है! मज़ा तो आपने भी चखा! उस नफरत के तीर को आपके धनुष ने चालाया था! वह तीर आपके तरकश से निकला था! तीर का दोष नहीं मन जाता! कलुषित होते हैं धनुष, तरकश और तीर चलाने वाले हाथ!
इस तीरंदाजी को वीरता का नाम देना ठीक नहीं है! शब्द अगर किसी काम के न होते, तो उनके मायने ही क्यों होते? हम इशारों में ही बात न करते!

"कहने को ही कहा था", ऐसा कितने लोगो के मुह से आपने सुना होगा! बोल मुह से निकली ध्वनियाँ नहीं होते!
वो यूँ ही नहीं होते! मनन के किसी कोने में बैठे विचारों की आवाज़ होते हैं! किसी धारणा का नतीजा होते है! किसी सोच की अभिव्यक्ति होते हैं!
कई लोग कहते हैं की नशे में मुह से सच निकल जाता है क्योंकि तब सच कहने की हिम्मत आ जाती है! या यूँ कहे की नशे की आध मिल जाती है! ऐसा नहीं है!
बोल जब भी जायेगा, सब कह जाएगा! होश हो या न हो! कहने वालों को केवल यह भ्रम होता है की वह जो सोच रहे हैं, शब्दों से ज़ाहिर नहीं होगा!
अगर सही ढंग से सिलसिले को तरतीब में रख कर देखा जाए, तो हर शब्द सच के किसी न किसी बीज को लेकर बैठा होता है!
भविष्य में यही अंकुरित होते हैं! आपका कहा ही सामने आएगा! फल कड़वा मिलेगा की मीठा, यह हम आज ही तय कर देंगे! खुद बोल कर बता देंगे की कल कैसा होगा...!

Tuesday, November 22, 2016

दिल को छू लेने वाली शायरी दो-लाईनों में 
Heart Touching Hindi Shayari in Two-Lines
लाकर तेरे करीब मुझे दूर कर दिया ,
तकदीर भी मेरे साथ इक चाल चल गई...!!!
पत्तों की तरह बिखेरता रहा जमाना मुझको,
एक शख्स ने समेटा और आग लगा दी..।
दुरिया खलती है मुझे इतने करीब रिश्तों में...
कि आ भी जाओ मेरे पास यु ना मोहब्बत दो मुझे किश्तो मे.
वजह तक पूछने का मौका ही ना मिला,
बस लम्हे गुजरते गए और हम अजनबी होते गए !!
आँखें भिगोने लगी है अब तेरी बातें,
काश तुम अजनबी ही रहते तो अच्छा होता....
मुझे क्या पता तुमसे हसीन कोई है या नही,
तुम्हारे सिवा कभी किसी को गौर से देखा ही नहीं।
कभी मतलब के लिए तो कभी बस दिल्लगी के लिए...
हर कोई मोहब्बत ढूँढ़ रहा है यहाँ अपनी ज़िन्दगी के लिए..
जो एक गुलाब उसने दिया था मेरे हाथ में...
सूखा हुआ भी वो गुलाब पूरे गुलशन पे भारी था.....
ता उम्र बस एक यही सबक याद रखिये,
इश्क़ और इबादत में नियत साफ़ रखिये...!!
कहाँ तक आज़माओगी मुझे तुम ज़िन्दगी आख़िर,
सजा दो क़ब्र मेरी अब मुझे आराम करना है।
हद से बढ़ जाये ताल्लुक़ तो गम मिलते हैं,
हम इसी वास्ते हर शख्स से कम मिलते हैं।
लौट आओ वो हिस्सा लेकर जो साथ ले गये तुम,
इस रिश्तें का अधूरापन अब अच्छा नहीं लगता।
दिल की बात दो लाईनो में (Two-Lines Shayari)

दिलों की बात करता है ज़माना,
लेकिन मोहब्बत आज भी चेहरों से शुरू होती है।

हर ख्वाब के मुकद्दर मे हकीकत नहीं होती…
कुछ ख्वाब जिन्दगी मे…. महज ख्वाब ही रह जाते हैं….!!

चेहरे पर सुकून तो बस दिखाने भर का है,
वरना बेचैन तो दिल जमाने भर का हैं...

दिल टुटने पर भी जो शख्स आपसे शिकायत तक न करे,
उससे ज्यादा मोहब्बत आपको कोई और नहीं कर सकता...

जिंदगी की परीक्षा में कोई नम्बर नहीं मिलते है साहब....
लोग आपको दिल से याद करे तो समझ लेना आप पास हो गए।

“बडा नाम है मेरा, मेरी गलीयों मे.,
बदनाम तो मै उनकी गलीयों मे हूँ..

मोहब्बत तो वो बारिश है, जिसे छूने की चाहत में.
हथेलियां तो गीली हो जाती हैं, पर हाथ खाली ही रह जाते हैं!

इश्क है या इबादत... अब कुछ समझ नहीं आता...
एक खुबसूरत ख्याल हो तुम जो दिल से नहीं जाता...

वो पहले सा कहीं, मुझको कोई मंज़र नहीं लगता,
यहाँ लोगों को देखो, अब ख़ुदा का डर नहीं लगता!
कल एक झलक ज़िंदगी को देखा,
  वो राहों पे मेरी गुनगुना रही थी..
फिर ढूँढा उसे इधर उधर.!
  वो आँख मिचौली कर मुस्कुरा रही थी..
एक अरसे के बाद आया मुझे क़रार,
  वो सहला के मुझे सुला रही थी..
हम दोनों क्यूँ ख़फ़ा हैं एक दूसरे से.!
  मैं उसे और वो मुझे समझा रही थी..
मैंने पूछ लिया- क्यों इतना दर्द दिया कमबख़्त तूने.?
  वो हँसी और बोली-
     "मैं ज़िंदगी हूँ पगली तुझे जीना सिखा रही थी।".
Kahan Hai Bhagwan - Life Shayari
नेपाल हिला, भारत हिला और हिल गया पाकिस्तान,
न मसीह आए, न अल्लाह आए और कहाँ गए भगवान ?
हैं कौन हिन्दू, कौन ईसाई और कौन है मुसलमान,
प्रकृति के आगे है बेबस हर इंसान ।।
हैं समान सब उसकी नजर में,
वहाँ नहीं चलता बाइबल, वेद और कुरान।
मत उलझ इस पाखण्ड में,
अब तो जाग जा ए मूर्ख इंसान ।।
♥♥♥♥♥♥♥ (1) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर...
क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है..
♥♥♥♥♥♥♥ (2) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा,
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना ।।
♥♥♥♥♥♥♥ (3) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥
ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई ऐब नहीं है
पर सच कहता हूँ मुझमे कोई फरेब नहीं है
♥♥♥♥♥♥♥ (4) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥
जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्यूंकि एक
मुद्दत से मैंने
न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!.
♥♥♥♥♥♥♥ (5) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥
एक घड़ी ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध ली..
वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे..!!
♥♥♥♥♥♥♥ (6) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से..
पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला !!!
♥♥♥♥♥♥♥ (7) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब....
बचपन वाला 'इतवार' अब नहीं आता |
♥♥♥♥♥♥♥ (8) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥
शौक तो माँ-बाप के पैसो से पूरे होते हैं,
अपने पैसो से तो बस ज़रूरतें ही पूरी हो पाती हैं..
♥♥♥♥♥♥♥ (9) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥
जीवन की भाग-दौड़ में -
क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है ?
हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है..
♥♥♥♥♥♥♥ (10) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥
एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम
और
आज कई बार
बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है..
♥♥♥♥♥♥♥ (11) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥
कितने दूर निकल गए,
रिश्तो को निभाते निभाते..
खुद को खो दिया हमने,
अपनों को पाते पाते..
♥♥♥♥♥♥♥ (12) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥
लोग कहते है हम मुस्कुराते बहुत है,
और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते..

Sunday, November 13, 2016


सर में सौदा भी नहीं दिल में तमन्ना भी नहीं

लेकिन इस तर्क-ए-मोहब्बत का भरोसा भी नहीं
दिल की गिनती  यगानों में  बेगानों में

लेकिन उस जल्वा-गह-ए-नाज़ से उठता भी नहीं
शिकवा-ए-जौर करे क्या कोई उस शोख़ से जो

साफ़ क़ाएल भी नहीं साफ़ मुकरता भी नहीं
मेहरबानी को मोहब्बत नहीं कहते  दोस्त

आह अब मुझ से तिरी रंजिश-ए-बेजा भी नहीं
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई नहीं हमें

और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
आज ग़फ़लत भी उन आँखों में है पहले से सिवा

आज ही ख़ातिर-ए-बीमार शकेबा भी नहीं
बात ये है कि सुकून-ए-दिल-ए-वहशी का मक़ाम

कुंज-ए-ज़िंदाँ भी नहीं वुसअत-ए-सहरा भी नहीं
अरे सय्याद हमीं गुल हैं हमीं बुलबुल हैं

तू ने कुछ आह सुना भी नहीं देखा भी नहीं
आह ये मजमा-ए-अहबाब ये बज़्म-ए-ख़ामोश

आज महफ़िल में 'फ़िराक़'-ए-सुख़न-आरा भी नहीं
ये भी सच है कि मोहब्बत पे नहीं मैं मजबूर

ये भी सच है कि तिरा हुस्न कुछ ऐसा भी नहीं
यूँ तो हंगामे उठाते नहीं दीवाना-ए-इश्क़

मगर  दोस्त कुछ ऐसों का ठिकाना भी नहीं
फ़ितरत-ए-हुस्न तो मालूम है तुझ को हमदम

चारा ही क्या है ब-जुज़ सब्र सो होता भी नहीं
मुँह से हम अपने बुरा तो नहीं कहते कि 'फ़िराक़'

है तिरा दोस्त मगर आदमी अच्छा भी नहीं

 प्यार का  एहसास न बहुत प्यारा होता एक दूसरे से expectation भी बहुत होती है । मेरा व्यवहार उसके लिए सबसे अलग था मुझे ये लगा था कि मैं जैसा ह...