Sunday, September 20, 2020

घबराना मत मेरी जान........

शिकायतें भी होंगी तुम्हें मुझसे , बहुत सारी ! 
पर कहीं ना कहीं तुम सब मुझसे छुपाती हो ,
कहना तो तुम भी चाहती हो मुझसे बार-बार
कि आख़िर क्यों नहीं हो तुम मेरे साथ ?
क्यों अपने काम को इतना वक़्त देते हो 
और अपनी जान को दो वक़्त तक नहीं ? 
मेरी यादों में खोई , दिन भर मेरे msgs और मेरे call के इंतज़ार
सुबह से शाम हो जाती हैं ,
और वो तुम्हारा मुस्कुराता चेहरा खिले फूल सा 
सूरज ढलते ही मुर्झा जाता हैं |
और तुम्हारी आंखों में अब तक शांत, चुप-चाप बैठा समंदर
अपनी सारी हदें पार कर जाता हैं |

पर तुम ये जानती हो क्या ? 
कि जो समंदर तुम्हारी आंखों से उतरा था 
वो मेरी भी आंखों में तुम्हारी यादें , तुम्हारी बातें 
तुम्हारी तस्वीर लिए , दिल को बेचैन किए
हर पल मुस्कुराते रहता हैं और फ़िर हल्के से मेरे कानों में कहता हैं 
" बड़ी खूबसूरत हैं तेरी जान , अगर मैं सूख भी जाऊ 
तो तू छोड़ना ना इसका साथ "|

शायद तुम ये भी नहीं जानती
कि अपने काम को जो मैं इतना वक़्त देता हूं 
असलियत में मैं वहां पर होकर भी वहां नहीं रहता ,
तुम्हारे बारे में सोचता ना जाने कितनी बार ही
मैंने अपने बॉस से डांट खाई होगी |
कितनी ही बार मेरी आंखें लाल हुई होंगी ,
कितनी ही बार तुम्हारे साथ-साथ रोई होंगी |

ये दूरी ना तुमसे बर्दाश्त होती हैं और ना मुझसे
एक दूसरे से मिलने के लिए ना जाने कितनी ही बार हैं हम तरसे ,
हर पल , हर लम्हा सब कुछ खास हैं
ये इंतज़ार ही तो अपना प्यार हैं |


पर क्या तुम ये भी जानती हो ? 
कि शायद एक दिन ऐसा भी आएगा 
जो हम दोनों को तोड़ने की भर पूर कोशिश करेगा | 

ये प्यार, ये मोहब्बत , ये ख़ुशी 
इन सब से वो बेइंतेहा नफ़रत करेगा 
और हमारे बीच में एक मजबूत दीवार खड़ी करेगा |

पर तुम घबराना मत मेरी जान 
दीवार से भी ऊंचा हैं अपना प्यार 
और सारी नफ़रत और दूरियों को मिटा दे ,
इसके इंतज़ार में बैठा हैं 
हम दोनों की आंखों एक तूफ़ान |

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