Sunday, June 7, 2020

पुराने दर्द की शाखों पर फूल आते है,
मेरे लफ्ज़ो को कभी कभी वो भूल जाते है ।
अब ऐतबार के काबिल नही रहे आँसू,
कोई भी पूछे तो सब कुछ कुबूल आते है।।

Wednesday, June 3, 2020

अकेले में

बड़ी फुर्सत से, खुद से बेपर्दा होने को 
सफेद पन्नो पर अपनी कलम गुजरता हुँ।
कही पे बैठ के हँसना, कही बैठ के रोना 
दोगली मैं अपनी जिंदगी गुजरता हुँ।

वसीयत मेरे नाम की किरायेदार सहेंसा


एक आँशु भी हुकूमत के लिए खतरा है,
तुमने देखा नही मेरे आंखों का समन्दर होना ।
और संगेमरमर का था मकां मेरा 
बेबस बैठ देख रहा था दीवार खड़ी होना ।

 प्यार का  एहसास न बहुत प्यारा होता एक दूसरे से expectation भी बहुत होती है । मेरा व्यवहार उसके लिए सबसे अलग था मुझे ये लगा था कि मैं जैसा ह...