पुराने दर्द की शाखों पर फूल आते है,
मेरे लफ्ज़ो को कभी कभी वो भूल जाते है ।
अब ऐतबार के काबिल नही रहे आँसू,
कोई भी पूछे तो सब कुछ कुबूल आते है।।
मेरे लफ्ज़ो को कभी कभी वो भूल जाते है ।
अब ऐतबार के काबिल नही रहे आँसू,
कोई भी पूछे तो सब कुछ कुबूल आते है।।