वो ईंटो की वीक्टे वो टूटा सा बल्ला
वो गलियों की रौनक वो अपना महेल्ला
वो जेबों में सिक्के मचाते थे शोर
अमीरी के दिन वो मिट्टी का गल्ला
ऐ बचपन बता तू कहा खो गया है
या बता की अब तू बड़ा हो गया है
~ unknown