Wednesday, August 30, 2017

आजकुछअलगमिजाजकी_रचना

निंदक बन कर जन्म लिया है
निंदक ही मर जाओगे
निंदा के प्यासे तुम कितना
निंदा रस पी जाओगे,

सुबह की निंदा शाम की निंदा
कृष्ण की निंदा राम की निंदा
मुफ्त की दारू पी लेते हो
फिर करते हो जाम की निंदा
तुम इस के पैसे पाते हो
मुंह मांगे से दाम की निंदा
गलती की निंदा तो ठीक पर
क्यों हो अच्छे काम की निंदा

जैसी होगी भाव भावना
वैसा ही गुण पाओगे
निदंक बन कर जन्म लिया है
निंदक ही मर जाओगे

निंदा का पेशा है तुम्हारा
निंदा से ही घर चलता है
गाली औरों को देते हो
पेट तुम्हारा तब भरता है
थोड़ी प्रशंसा उस की कर लो
काम अगर अच्छे करता है
अच्छा कहने वाला जग में
सब को अच्छा ही लगता है

निंदा करते करते खुद ही
निंदनीय हो जाओगे
निदंक बन कर जन्म लिया है
निंदक ही मर जाओगे

हरदम औरों को मत डांटो
खुद के अन्दर भी तो झांको
दूर अपना अज्ञान करो तुम
तब ही ज्ञान जहाँ को बांटो
पहले अन्तर मन को पढ लो
तब तुम कोई पोथी बांचो
चेक औरों को बाद मे करना
पहले अपनी काॅपी जांचो
⥹⥻
जीवन के हर इम्तहान मे
फेल ही होते जाओगे
निदंक बन कर जन्म लिया है
निंदक ही मर जाओगे
                  Name ~swapnil~
          Mobile No ~8085785740~

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