आते आते थोड़ा वो चिंतन मनन कर रहा है
किस किस से तुम दोष छुपाओंगे अपने
तुमको सब बताने का मन कर रहा है ।
और नदी के शान्त तट पर बैठकर मन
तेरी यादें विसर्जन कर रहा है ।
मेरी तरह मुझे चाहे तू ऐसा मेरा मन होता है
अपने यार से बात छुपाने से क्या प्यार काम होता हैं
और लाख छुपाओ तुम अपनी गलतियां
प्रिए अपना मन भी एक दर्पण होता है
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